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पढ़ें शानदार पंक्तियो में कविता "भाजी वाला आया रे!" । bhaji wala हिंदी में

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" भाजी वाला आया रे!" (अपडेटेड – महंगाई स्पेशल वर्जन) 👉 सुबह-सुबह गली में, देता सबको पुकार, ➡️ "आलू-टमाटर ले लो!", जैसे गाए ग़ज़ल सिंगार। 👉 ठेले पर सब्ज़ी लिए, साइकिल उसकी शान, ➡️ दादी-नानी जग उठें, सुन उसकी पहचान। 👉 भिंडी-तरबूज-करेला, करता रोज़ बखान, ➡️ प्याज महंगा देखके, भर लेता वो प्राण। 🧅💥 👉 चारों ओर से आवाज़ें – “भैया! रेट घटाओ,” ➡️ महंगाई के मारे सब, सैलरी का हाल सुनाओ। 😩 👉 प्याज-टमाटर झकास भाव, करें बजट तहस-नहस, ➡️ आंटी बोली – “इस दाम पे तो घर का क्या रहस्य?” 🍅 👉 भाजी वाला हँसके कहे – “बहना मैं भी हार, ➡️ मंडी वाले दाम पे तो, मेरी भी आँखें झार।” 👉 हर सौदे में मुस्काए, हर आंटी को मात, ➡️ मोलभाव का देता जवाब, चुटकुलों के साथ। 👉 बोले – “आपके लिए तो करता हूँ प्यार कमाल, ➡️ उधार न लिखवाना बहनजी, EMI है बवाल।” 😄 👉 धूप हो या बारिश, नहीं रुकता ये काम, ➡️ उसके ठेले पे ही मोहल्ला, पाता रोज़ आराम। 👉 थैले में सब्ज़ी भरे, दिल में रखे दुआ, ➡️ गली-गली फिरते हुए, सजाता जीवन-सुख का हुआ। नोट:अगर पसंद आए तो comment लिखें और दोस्तों को शेयर करें 

EK ड्राइवर दिनभर क्या करता है शायरी कविता ME पढ़ें _हिंदी में

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  पढ़िए ड्राइवर के जिंदगी संघर्ष की दिनभर की कहानी पढ़ें हिंदी में ड्राइवर शायरी वाली कविता  ड्राइवर को ड्राइवर मत कहो, ड्राइवर साहेब कहिए, क्योंकि वही तो है जो, आपको सही समय पर मंज़िल तक पहुंचाता है। धूप हो या बरसात, दिन हो या अंधेरी रात, स्टीयरिंग थामे खड़ा रहता है, थकान में भी मुस्कुराता है। सफर की हर मुश्किल आसान कर देता है, यात्री को अपनी दुआओं का हक़दार कर देता है, जो खुद सफर में भटकता है रोज़, पर आपको मंज़िल तक पहुंचाता है रोज़। सड़कें हों ऊबड़-खाबड़ या लंबी राह, फिर भी दिल में रखता है हिम्मत और चाह। भूखा रहे तो भी सवारी को खाना खिलाता है, अपनी नींद त्यागकर मुसाफ़िर को जगाता है। उसके हाथों में ही सफर की सुरक्षा है, उसके चेहरे पर ही मेहनत की झलक है। ड्राइवर केवल पेशा नहीं निभाता, बल्कि मुसाफ़िरों का भगवान बन जाता। पर औरों को उनकी मंज़िल तक पहुँचा देता है।

"पढ़िए वकील साहब की मजेदार शायरी कविता एक नए अंदाज में" vakil Saheb ki kavita पढ़ें हिंदी में

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कोर्ट वाले वकील साहब की कविता पढ़ें हिंदी भाषा में  वकील साहब  वकील मेरा नाम है, वकालत मेरा काम है। झगड़ते हैं दो लोग गली-गली, मैं कहता हूँ – "चलिए, कोर्ट मेरी गली!" सवालों का जाल बिछाऊँ, गवाह को भी उलझाऊँ। कभी केस जीता फीस से भारी, कभी केस हारा, फिर भी जेब हमारी। 😄 कानून की गलियों में चलती चालाकी, कभी तर्क-कभी बहस-कभी थोड़ी नाटकबाज़ी। सच-झूठ सब कागज़ पर आ जाता है, फैसला देर से, पर मेरी सुनवाई काम आ जाता है। झूठ को सच बना दूँ, सच को भी थोड़ा घुमा दूँ, न्यायाधीश भी कह दें – "वाह, ये तर्क तो बड़ा काम का है!" कभी बहस में गरजता हूँ, कभी नज़र से बरसता हूँ, गवाह पूछे – "अब क्या कहूँ?" मैं बोल दूँ – "चुप रहना ही तेरे हक़ का नाम है।" काग़ज़ों का बोझ उठाता हूँ, फीस का मज़ा भी पाता हूँ, हार जाऊँ तो कहता हूँ – "जज साहब, अपील अभी बाक़ी काम है!" 😄 हमने तो सीखा है, कानून की किताबों से खेलना, जज भी कहे – ये वकील, तर्कों में माहिर है झेलना।" 💼 कभी बहस में ग़ुस्सा, कभी हंसी का अंदाज़, मुवक्किल कहे – "जीता न सही, पर मज़ा आ गया आज!" 😂 वक...

पढ़िए “एक लड़की स्कूल से लेकर बुढ़ापे तक – बुढ़ापे तक उसका Attitude 😎 | Life Shayari in Hindi | स्टाइल और ज़िंदगी पर शायरी

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"ज़िंदगी के हर पड़ाव पर उसका Attitude बरकरार है! पढ़िए Life Shayari in Hindi का बेहतरीन कलेक्शन — जहाँ स्टाइल, स्वैग और ज़िंदगी के तज़ुर्बे मिलते हैं शेरों में। ठुमककर चलती है स्कूल के टाइम अकडकर चलती है कॉलेज के टाइम ठुमककर चलती है इंगेजमेंट में सुधरकर चलती है शादी में शर्माकर चलती है सुहागरात के बाद हंसकर चलती है एक साल के बाद झटकर चलती पांच साल बाद सटककर चलती दस साल बाद रगड़कर चलती बीस साल बाद चिल्लाकर चलती तीस साल बाद खटकर चलती चालीस साल बाद अटकर चलती पचास में थक-थककर चलती साठ में डॉक्टर से मिलकर चलती सत्तर में यादों के सहारे चलती अस्सी में लाठी के सहारे चलती नब्बे में भगवान को पुकारकर चलती सौ साल में पैकअप कर चल दी 

खिड़की से झांकती हुई, मुस्कराई और हल्की आवाज़ में बोली – "I LOVE YOU"। पढ़िए दिल को छू लेने वाली रोमांटिक शायरी और स्टेटस हिंदी में।

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                               "खिड़की से झांकती हुई – रोमांटिक शायरी | I Love You वो लड़की — कविता  दिल में एक बात खटकती है, आंखों में एक तस्वीर मचलती है। एक रोज़ रेलवे स्टेशन पर बैठा था, तभी एक ट्रेन थोड़ी सी रुकी... और फिर चल दी। एक सुंदर सी लड़की, खिड़की से झांकती हुई, मुस्कराई, और हल्की सी आवाज़ में बोली — "आई लव यू"। फिर एक फ़्लाइंग किस दी, "बाय-बाय" कहा... और वो ट्रेन दूर निकल गई। वो लम्हा ठहर सा गया, वो बात — ज़िंदगी भर नहीं भूली। वो लड़की... हाँ, वो लड़की... आज भी याद है। Note  पसंद आए तो comment लिखें और दोस्तों को शेयर करें 

दारू वाली शायरी ,DARU WALI SHAYRI PADHE HINDI ME

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BEST DARU WALI SHARYRI गजब आदमी है दारू पीकर छत पे खड़ा है, गजब आदमी है छोटी बात पर पड़ा है पीछे, गजब आदमी है कभी हँसता है ज़ोर से, कभी रोता है अकेले दिल टूटा है या है कोई खेल, गजब आदमी है दो पैग में दुनिया को बदलने निकल पड़ता है हर बात पे करता है दिल से, गजब आदमी है नशे में भी याद रखे हिसाब पुराना दोस्ती निभाए, दुश्मनी निभाए, गजब आदमी है चलते-चलते ठोकर भी खा जाए तो हँस देता है, अपनी ही हालत पर ताली बजा देता है, गजब आदमी है। सिगरेट के धुएँ में सपने सजाता है, पर हकीकत से हमेशा लड़ जाता है, गजब आदमी है। सड़कों को ही महफ़िल बना लेता है, दोस्तों संग हर ग़म भुला लेता है, गजब आदमी है। खाली जेब भी शान से दिखाता है, उधार में भी जश्न मनाता है, गजब आदमी है। दिल बड़ा है, सोच है छोटी-मोटी, फिर भी सबको हँसा जाता है, गजब आदमी है।

हीरा डायमंड वाली शायरी

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अब मैं हीरा काटता हूं कांच नहीं अब मैं हीरा काटता हूं, हर चोट पे अब मुस्कान बांटता हूं। टूटे थे पहले, बिखरे थे कभी, अब ज़ख्मों से ही रोशनी छांटता हूं। थी कभी नज़रें झुकी, होंठ खामोश, अब लहजे में आग, हर बात में जोश। जो समझे ना कोई, वो राह बन गया, अब खुद अपने अंधेरों से टकराता हूं। कभी शीशे-सा दिल, चुभता था हर शब्द, अब पत्थरों से भी मोती निकालता हूं। गिरा था जहां, अब वहीं पर्वत गढ़े, कांच नहीं अब मैं हीरा काटता हूं। कांच था पहले, हर ठोकर में चूर था, अब दर्द सहकर, खुदा की नज़्म हूं मैं पुर। जो कल तक था बस एक साया डर का, आज हौसलों का खुला आसमां हूं मैं मगर। हर वार पे अब सीना ताने खड़ा हूं, हर तुफ़ान से कहता — अब तुझसे बड़ा हूं। वो जो मुझे कमजोर समझते थे कभी, अब उनके गुरूर को पल में मसलता हूं। ना कोई किनारा, ना कोई सहारा, तूफ़ानों से सीखा, कैसे हो उजाला। बचपन में था जो शीशे-सा नाज़ुक, अब वक्त की छेनी से हीरा काटता हूं। ****राकेश प्रजापति**** पसन्द आए तो लाइक करें.....

Unique Shayari | Hindi Shayari जो दिल को छू ले

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पढ़ें बिल्कुल unique Shayari और हिंदी content। दिल को छू लेने वाली शायरी, जो emotions, हँसी और inspiration में अलग और खास हो। Student shayri जब पढ़ने से हम दूर हो गए, तो सपने टूट के चूर हो गए। फिर सोशल मीडिया में आए, तो इंस्टाग्राम में मशहूर हो गए। स्टोरी-रिल्स पे जब व्यूज़ बढ़े, हम खुद को स्टार समझने लगे। शेयरिंग पोस्ट पर जब लाइक मिले, तो हम मोती के लड्डू चूर हो गए। जब किताबों से दिल उखड़ गया, तो मोबाइल हाथों में जकड़ गया। जो कभी पेन पकड़ा करते थे, अब कैमरे का बटन पकड़ गया। डाटा पैक रिचार्ज हुआ तो, ज्ञान का नेटवर्क डाउन हुआ। गूगल पे सब जवाब मिल गया, अक्ल बेचारा क्लाउन हुआ! क्लासरूम में जब पढ़ाई चली, हमने माइक ऑन कर दिया। टीचर बोले — बेटा सुन ले, हमने म्यूट का ऑप्शन चुन लिया! सेल्फी में दुनिया समा गई, रियल लाइफ मखौल बना गई। एग्जाम में जब जीरो आए, मम्मी की चप्पल हवा में लहराए! अब भी टाइम है संभल जाने का, बुक और नेट में बैलेंस लाने का। वरना लाइक्स के मोती तो मिलेंगे, पर रिजल्ट में नाम कटा पाएंगे! जब पढ़ने से हम दूर हो गए, तो सपने टूट के चूर हो गए। फिर सोशल मीडिया में आए, तो इंस्टाग्राम म...

मौत वाली शायरी

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जब मौत आती है तो क्या होता है  जिंदगी और मौत का फासला क्या होता है जब मौत आती है तो क्या होता है  कल तक जो सांसों से जिंदा था ये तन, एक पल में खामोश हो जाता है मन। चेहरे की हँसी, आँखों की रोशनी, सब खो कर बस यादें छोड़ जाता है ये जीवन। लोग रोते हैं, याद करते हैं उसे बार-बार, मगर जो गया वो लौट कर आता नहीं फिर यार। जिंदगी और मौत बस इक सफर का नाम है, आज यहाँ, कल वहाँ — यही तो इंसान का काम है। जिंदगी और मौत का फासला क्या होता है जब मौत आती है तो क्या होता है  ***राकेश प्रजापति*** और कविताएं पढ़ने के लिए स्क्रोल करें 

रील और इंस्टाग्राम वाली शायरी

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रील बनाकर करो कमाई  कर लो छप्पर फाड़ कमाई रील बनाकर, बस कैमरे के सामने ही हंसते हो मुस्कराकर। पकौड़े नहीं बचे अब चाय की दुकान पर, सब बना बैठे हैं Vlogger इस जमाने में आकर। कभी जिम में बॉडी, कभी बाइक पे स्टंट, कभी सड़क पे नाचो, कभी बनो फिल्मी हंट। दुनिया जल रही है बस एक वायरल के पीछे, सोच रहे सब – "मेरे को भी दो रीचे!" फिल्टर लगाओ, एंगल जमाओ, चार सेकेंड में दुनिया को हिलाओ। कंटेंट भले हो बिना दम के भाई, पर लाइक देखकर आंखें भर आईं ओ मेरे भाई  कर लो छप्पर फाड़ कमाई रील बनाकर, बस कैमरे के सामने ही हंसते हो मुस्कराकर। पकौड़े नहीं बचे अब चाय की दुकान पर, सब बना बैठे हैं Vlogger इस जमाने में आकर। ____________राकेश प्रजापति** कविताएं शायरी पढ़ने के लिए स्क्रोल करें 

मजबूरी का नाम महात्मा गांधी – एक व्यंग्यात्मक कविता

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गांधी महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति और समाज की सच्चाई पर व्यंग्य करती यह कविता आज़ादी, खादी, और नेताओं की नीयत पर गहरी चोट करती है। मजबूरी का नाम महात्मा गांधी, कहते-कहते उमर बीत गई मेरी आधी। समय बदला, ज़माना बदला, अब तो कपड़े भी छोड़ दिए पहनना खादी। न नेता बचा, न नीयत बची, हर बात में मिलती है अब सियासी बर्बादी। जो पहले सेवा करते थे देश की खातिर, अब ढूंढते हैं बस कुर्सी की जमाई। आज़ादी के किस्से सुनते हैं बच्चे हँसकर, क्योंकि किताबों से मिट रही है उसकी कहानी, तिरंगे की कीमत अब सिर्फ भाषणों में है, बाकी बिलकुल 🙂 मैं आपकी लिखी हुई कविता की टोन वही रखते हुए इसमें 20 नई लाइनें जोड़ देता हूँ, ताकि यह और भी मज़बूत और धारदार लगे। मजबूरी का नाम महात्मा गांधी, कहते-कहते उमर बीत गई मेरी आधी। समय बदला, ज़माना बदला, अब तो कपड़े भी छोड़ दिए पहनना खादी। न नेता बचा, न नीयत बची, हर बात में मिलती है अब सियासी बर्बादी। जो पहले सेवा करते थे देश की खातिर, अब ढूंढते हैं बस कुर्सी की जमाई। आज़ादी के किस्से सुनते हैं बच्चे हँसकर, क्योंकि किताबों से मिट रही है उसकी कहानी। तिरंगे की कीमत अब सिर्फ भाषणों में...

जिंदगी मोबाइल बन गई है । JINDGI MOBILE BAN GAYI HAI LOVE शायरी PADHE

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ज़िंदगी मोबाइल बन गई है। मुझे ऐसा क्यों लगता है कि, ज़िंदगी मोबाइल बन गई है। हर सुबह अलार्म सा चुभता है, हर रात स्क्रीन में खो गई है। अब चेहरे कम, प्रोफाइल ज़्यादा, हर लम्हा ऑनलाइन है। दिल कहता है कुछ और मगर, सब कुछ टाइपलाइन है... ज़िंदगी अब वो नहीं रही, जो हुआ करती थी कभी। अब तो ये भी बैटरी सी है, जो ख़ुद से थक गई है अभी। मुझे ऐसा क्यों लगता है कि, ज़िंदगी मोबाइल बन गई है... कॉल में लिपटे रिश्ते सारे, नेटवर्क से टूटते हैं। कभी सिग्नल आता है दिल में, कभी नोटिफ़ में छूटते हैं। अंदर के सन्नाटे ढकती हैं। जो बातें दिल से होती थीं, अब emoji में सिमटती हैं... वो साथ जो आँखों से मिलता था, अब टच स्क्रीन में जलता है। हर एहसास वाइब्रेट करता है, मगर कोई भी नहीं पलटता है... मुझे ऐसा क्यों लगता है कि, ज़िंदगी मोबाइल बन गई है... राकेश प्रजापति  दूसरी गाने पढ़ने के लिए नीच जाएं 

मुंबई लोकल ट्रेन कविता शायरी

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मुंबई लोकल ट्रेन भीड़ में भी चलती है ये तनहाई के संग, हर डिब्बा है जैसे एक चलता हुआ रंग। कभी ठहाका, कभी चुप्पी, कभी गालियाँ सीधी, कभी किसी की आँखों में माँ की याद भी मीठी। कांदीवली से चर्चगेट तक, सपनों का सफर चढ़ता है हर पग। किसी के हाथ में टिफिन, किसी के कांधे पर बैग, किसी की नींद टूटी, किसी की ज़िंदगी है रैग। भीड़ में भी इंसान पहचान जाता है, वो रोज़ मिलने वाला दोस्त बन जाता है। "थोड़ा सरक न भाई", "भाई उतरना है", इन लाइनों में ही अपनापन बहता है। स्टेशन बदलते हैं, चेहरे बदलते हैं, पर जिंदगी के इम्तिहान रोज़ वही मिलते हैं। एक टिक-टिक करती घड़ी के संग, मुंबई की लोकल है रफ्तार का जंग। कभी सीट मिल जाए तो किस्मत समझो, वरना दरवाज़े की सांसों में खुद को खोजो। कभी बारिश भीगाए, कभी धूप जलाए, पर लोकल कभी नहीं रुक जाए। यह लोकल नहीं, ये जिंदगी है हमारी, जहां हर मुसाफिर है एक चलती कहानी। मुंबई की धड़कन है, नब्ज़ की पहचान, इसमें ही बसी है सपनों की जान। नोट अगर पसंद आए तो comment लिखें और दोस्तों को शेयर करें 

बटन मोबाइल वाली शायरी

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बटन मोबाइल पुराने हो गए  बटन दबा-दबा के बातें करते थे, रातों में चुपके-चुपके मैसेज भेजते थे। चार्जर ना हो तो दिल घबराता था, रिचार्ज कराने में टाइम लग जाता था। बटन मोबाइल पुराने हो गए, स्मार्टफोन के दीवाने हो गए। संता बंता जोक्स पुराने हो गए, वॉट्सएप स्टेटस के दीवाने हो गए। अब तो वीडियो कॉल भी चालू है यारा, हर बात पे भेजते हैं इमोजी प्यारा। इंस्टा पे रील्स बना-बना के झूमे, ट्वीटर पे ट्रेंडिंग, सबको खूब चूमे। बटन मोबाइल पुराने हो गए, स्मार्टफोन के दीवाने हो गए। SMS पैक अब बेकार हो गए, वॉट्सएप कॉल के दीवाने हो गए। गेम खेलते PUBG, टाइम पास करते, ऑनलाइन शॉपिंग में पैसे सब खर्चते। डाटा खत्म हो तो दिल रोने लगता, वाई-फाई ढूँढने में दिल खोने लगता। बटन मोबाइल पुराने हो गए, स्मार्टफोन के दीवाने हो गए। मम्मी-पापा के ताने पुराने हो गए, 4G नेट के दीवाने हो गए। बटन मोबाइल पुराने हो गए, स्मार्टफोन के दीवाने हो गए। SMS पैक अब बेकार हो गए, वॉट्सएप कॉल के दीवाने हो गए। ***राकेश प्रजापति***

आज छुट्टी है!"कविता HOLIDAY KAVITA

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" आज छुट्टी है!" (ऑफिस वर्कर स्पेशल) सुबह अलार्म भी चुप है, नींद भी पास है, क्योंकि आज ऑफिस की छुट्टी का एहसास है। न लैपटॉप बोले, न मीटिंग की मार है, आज सिर्फ तकिए, रजाई और आराम हजार है। न बॉस का कॉल, न कोई मेल की घंटी, आज दिन भर चलेगी सिर्फ टीवी और चाय की तस्करी। न फाइल, न टेंशन, न कोई Excel की सजा, आज तो मन करेगा फिर से बचपन जिया जाए ज़रा। कभी नहाना टलेगा, कभी किचन से बहाना चलेगा, "मैं बिज़ी हूँ" कहकर, सोफे पे आलस पलेगा। कसम से! जो भी कहे छुट्टी बेकार होती है, उसे एक वर्क फ्रॉम होम वीकेंड की दरकार होती है।

रूपए पैसे वाली शायरी

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मैं ऐसा कैसा हूँ, इंसान का पैसा हूँ। जिसने मुझको खुदा बनाया, मैं उसके दिल में बैठा हूँ। मैं ऐसा कैसा हूँ, इंसान का पैसा हूँ। मंदिर में चढ़ जाता हूँ, मज़ारों पे लुट जाता हूँ। मैं बिकता भी हूँ बाज़ारों में, और रिश्वत बन जाता हूँ। मैं ऐसा कैसा हूँ, इंसान का पैसा हूँ। माँ की दुआओं से बड़ा, मुझको किसने माना है? इंसान मुझमें डूब गया, फिर खुद को बेगाना है। मैं ऐसा कैसा हूँ, इंसान का पैसा हूँ। मैं दिलों को दूर करूँ, मैं अपनों को पराया कर दूँ। फिर भी लोग मुझे बचा-बचा कर, अपने घर में सजाते हैं। मैं ऐसा कैसा हूँ, इंसान का पैसा हूँ। मैं मेटल हूँ, मैं काग़ज़ हूँ, पर इंसान से ऊँचा ताज हूँ। इंसान मुझे कमाने में, खुद को हार कर बैठा है आज। मैं ऐसा कैसा हूँ, इंसान का पैसा हूँ। राकेश प्रजापति 

BEST औरत स्त्री वाली शायरी PADHE IN HINDI

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🌼 औरत की कुशलता 🌼 कुशल अधिक होती है औरत आदमी से, आदमी थोड़ा सा बुद्धू होता है। वो भावों को पढ़ लेती आँखों से, आदमी तो बस शब्दों में खोता है। घर सँभाले, बाहर भी चमके, हर हाल में मुस्काना उसका दमकता है। कभी माँ बन, कभी साथी बन, हर रूप में जीवन महकता है। आदमी चाहे जितना कह ले, सारा श्रेय खुद को दे दे। पर सच तो ये दुनिया जाने, औरत बिना सब कुछ अधूरा रह जाता है।!!!!! **राकेश प्रजापति** मनपसंद कविताएं पढ़ें.......

BEST SHOES SHAYRI जूता वाली शायरी PADHE HINDI ME

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JUTA WALI BEST KAVITA BADHE HINDI ME जू ता मेरा टूटा  बाटा मेरा टूटा  यह जूता मेरा टूटा  ।। पता नहीं क्यों रुठा एक बरस तक साथ था मेरे अब इस बारिश में साथ इसका छूटा कभी धूप में, कभी धूल में हर मोड़ पे ये मेरे साथ था अब कीचड़ में फिसल गया तो फिर गुस्सा मेरा फूटा  तीन बरस की गारंटी थी पर वादा निकला झूठा  बाटा मेरा टूटा  यह जूता मेरा टूटा पता नहीं क्यों रुठा एक बरस तक साथ था मेरे अब इस बारिश में साथ इसका छूटा मैं चलता रहा, ये पीछे छूट गया मेरे सफ़र का गवाह टूट गया क्या भाव में लिया था जूता  ये सवाल किसने पूछा क्यों पूछा  बाटा मेरा टूटा  यह जूता मेरा टूटा पता नहीं क्यों रुठा एक बरस तक साथ था मेरे अब इस बारिश में साथ इसका छूटा फिर से लूंगा नया जूता, "बाय वन, गेट वन फ्री" वाला छूता! एक पहनूंगा काम पे जाने, दूसरा रखूंगा बारिश के बहाने! ☔😄 अब न होगा कोई धोखा, कंपनी भी दे रही है शोभा, वाटरप्रूफ, ग्रिप वाला ही लूंगा, तेरे जैसा धोखेबाज़ नहीं चुनूंगा! जूता टूटा... दिल भी टूटा, पर सेल ने फिर से जोड़ा रस्ता! अब नई जोड़ी के साथ चलूंगा, तेरी यादों को भीगी सड...

मजदूर से जुड़ी जिंदगी की BEST SHAYRI कविता पढ़ें हिंदी भाषा में

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ज़िंदगी की राहें कभी धूप सी जली, कभी छांव सी मिली, ज़िंदगी हर मोड़ पे एक कहानी सी मिली। कभी हँसी के पल, कभी आंसुओं का समंदर, हर एहसास में छिपी कोई नई तस्वीर मिली। कभी लोग मिले चेहरे पर मुस्कान लिए, पीठ पीछे वही जहरीली बातें किए। कभी अपनों से चोट खाई दिल ने, तो कभी अजनबी फरिश्तों जैसे मिले। कभी सपनों ने उड़ान भरी आसमान में, तो कभी बाहर का रास्ता दिखाया इंसान ने चलते रहे, गिरते-संभलते रहे, खुद से लड़ते रहे, खुद को बदलते रहे। पर ज़िंदगी ने सिखाया हर हाल में जीना, अंधेरे में भी उम्मीद का दीया जलाना। कभी धूप सी जली, कभी छांव सी मिली, पर हर राह पे खुद की पहचान सी मिली।

लाल शहर भाग 2 | हिंदी कविता | LAL SHAHAR KAVITA SHAYRI PADHE EK NEW STYLE ME

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लाल शहर भाग 2 कविता – यहाँ सुबह चाय नहीं बल्कि स्ट्रेस का घूंट मिलता है। पढ़िए Rakesh Prajapati की यह गहरी हिंदी कविता जो शहर की थकान और सच्चाई को बयां करती है। लाल शहर (भाग 2) यहाँ हर सुबह चाय नहीं, एक स्ट्रेस का घूंट होती है। लोग नमस्ते नहीं करते अब, सीधा "क्या काम है?" पूछते हैं। बिल्डिंगों की ऊँचाई से ज़मीन का दर्द दिखता नहीं, पर हर बालकनी के पीछे एक थकी हुई आह रहती है। लाल बसें दौड़ती हैं पटरियों पर, पर कोई अपनी मंज़िल पर नहीं पहुँचता। बस चलता है… जैसे ये शहर, जैसे ये लोग — रुके बिना, थके बिना, समझे बिना। यहाँ मंदिर भी लाल, और बोर्डर पर झंडा भी, फर्क बस इतना कि एक में भक्ति है, दूसरे में बंदूकें। कभी सोचता हूँ — क्या ये रंग बदल सकता है? क्या ये शहर कभी नीले आसमान सा शांत होगा? शायद नहीं। क्योंकि लाल अब सिर्फ़ रंग नहीं रहा, ये शहर की फितरत बन चुका है।