Life Shayari । बदल जाते हैं अक्सर लोग, एक सच्ची कविता रिश्तों की बेरुख़ी पर
“बदल जाते अकसर लोग” एक दिल छू लेने वाली हिंदी कविता है जो रिश्तों, भरोसे और वक्त के बदलते रंगों की सच्चाई को बयां करती है। यह कविता उन सभी के लिए है जिन्होंने कभी अपने ही अपनों को बदलते देखा है।
🌙 बदल जाते अकसर लोग
बदल जाते अकसर लोग,
जो सबसे आपके पास होते हैं,
मुस्कुरा के जो दिल जीतते हैं,
वही पहले उदास होते हैं।
जो दर्द में कंधा देते थे,
अब वही बोझ लगने लगे,
जो वक़्त के साथ चलते थे,
अब रास्ते अलग करने लगे।
बदल जाते अकसर लोग,
ये दुनिया का दस्तूर है शायद,
आज अपने, कल पराए —
यही रिश्तों का सूर है शायद।
जो कल तक “हम” कहा करते थे,
अब “तुम” और “मैं” में बाँट गए,
सच तो ये है, वक्त के साथ
सब अपने रंग बदल गए।
अब बातों में वो मिठास नहीं,
अब आँखों में वो एहसास नहीं,
जो वादा किया था साथ चलने का,
अब किसी को वो याद नहीं।
कभी जो सुकून देते थे,
अब वही बेचैनी बन गए,
जो रहबर बने थे मंज़िल के,
अब खुद रास्ते अनजान बन गए।
दिल पूछता है, क्या कसूर था मेरा,
जो हर कोई बेगाना निकला,
कभी अपनों पर यकीन था इतना,
अब खुद पर भी भरोसा कम निकला।
रिश्ते अब मौसमों जैसे हैं,
कभी गर्मी, कभी ठंडक, कभी सर्द,
जो पास थे बरसों तक,
अब नाम तक याद नहीं पड़ता एक फर्द।
फिर भी दिल के किसी कोने में,
वो पुराने लोग बसते हैं,
वक्त भले ही सब बदल दे,
यादें तो वही रह जाती हैं।
बदल जाते अकसर लोग,
जो सबसे आपके पास होते हैं…
पर कुछ एहसास, कुछ बातें,
हमेशा दिल के साथ होते हैं।
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