बेसहारा पुकार। बेचारा घायल दिल । बेहद दर्द भरी Sad Shayari पढ़ें एक अलग अंदाज में
यह कविता एक टूटे हुए दिल की बेबसी और तन्हाई की गहरी पुकार को बयान करती है। जब शब्द भी साथ नहीं देते और आत्मा बेसहारा महसूस करती है, तब यह शेर उस दर्द और अकेलेपन की भावनाओं को सामने लाता है। पढ़ें और महसूस करें अंदर की उस टूटन को। Besahara dil क्या सहारा दूं औरों को, ख़ुद ही तो बेसहारा हूं, लफ्ज़ भी अब साथ नहीं देते, मैं टूटी हुई पुकार हूं। जो मुस्कान थी चेहरे पे, वो अब दिखावा लगती है, हर बात में हौसला नहीं होता, कभी-कभी तकलीफ भी सच्ची लगती है। लोग कहते हैं — "दूसरों को हिम्मत दो, अंधेरे में दीया बनो," पर कौन समझे — कि मैं भी बुझा हुआ चराग़ हूं। दिल के जख्म अभी भरे नहीं, और लोग उम्मीदें लगाए बैठे हैं, जैसे मैं कोई पहाड़ हूं, जिसे गिरना मना है। थक गया हूं संभालते-संभालते, ख़ुद को और दूसरों को, अब कोई आकर बस ये पूछ ले — "तू कैसा है?" नोट:अगर पसंद आए तो comment लिखें और दोस्तों को शेयर करें