इंतजार और सैड शायरी
**बात सिर्फ इतनी सी है कि तुम आईं नहीं**
मैंने तुम्हारा इंतज़ार किया कई-कई रोज,
बात सिर्फ इतनी सी है कि तुम आईं नहीं,
हर शाम तन्हा खिड़की से देखा रास्ता,
मगर तुम्हारी परछाईं भी आई नहीं।
ख्वाबों में भी दस्तक देती रही तन्हाई,
तेरे बिना कोई भी रात सजाई नहीं,
कहा सबने, छोड़ दे अब उम्मीदें,
पर इस दिल को ये समझ आई नहीं।
सितारों ने भी अब ताकना छोड़ दिया,
तेरे बिना ये आसमाँ सजाई नहीं।
हर धड़कन में बस तेरा नाम बसता है,
पर तेरी एक झलक भी दिखाई नहीं।
खामोश राहों में आवाज़ ढूंढता हूँ,
तेरे कदमों की आहट सुनी नहीं।
दिल कहता है, रुक जा, वो आएगी,
पर आँखों को अब वो रौशनी दिखाई नहीं।
________________***राकेश प्रजापति***
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