धोखा वाली शायरी _आंखों का धोखा भी होता है शायरी
कभी-कभी आंखों का धोखा भी होता है
हमेशा आंखों से देखी हुई चीज़ सच नहीं होती
कभी-कभी आंखों का धोखा भी होता है
कभी-कभी बाहर से कुछ और
भीतर से कुछ और होता है
कभी-कभी इंसान का कद छोटा और
भीतर से बड़ा होता है
कुछ लोग बाहर से साधारण और
भीतर से महान होते हैं
कभी-कभी खामोशी में भी
हज़ारों सवाल छुपे होते हैं
कभी मुस्कान के पीछे
आंसुओं के बादल जमे होते हैं
जो दिखे वो सच नहीं
जो छुपे वो झूठ नहीं
कभी-कभी हर रिश्ते में
थोड़ी सी दूरी भी होती है सही
हर इंसान को परखना
इतना आसान नहीं होता
कभी-कभी जो सबसे पास होता है
वही सबसे अनजान होता है
जो दिल से साफ हो
वो दुनिया में विरला होता है
कभी-कभी साधारण चेहरों में
हीरा भी छुपा होता है
हमेशा आंखों से देखी हुई चीज़ सच नहीं होती
कभी-कभी आंखों का धोखा भी होता है
कभी-कभी बाहर से कुछ और
भीतर से कुछ और होता है
कभी-कभी इंसान का कद छोटा और
भीतर से बड़ा होता है
कुछ लोग बाहर से साधारण और
भीतर से महान होते हैं
***राकेश प्रजापति***
और कविताएं शायरी पढ़ने के लिए स्क्रोल करें
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें