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SAD तलाक कविता | दर्द भरी हिंदी कविता

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"तलाक कविता" – राकेश प्रजापति की एक दर्द भरी हिंदी कविता, जिसमें रिश्तों के टूटने का दुख, मोहब्बत के बिखरने की पीड़ा और जीवन की सच्चाई को दर्शाया गया है। तलाक बीस बरसों में पता चला, मैं ग़लत था... तू सही। जिसे समझा था ज़िद तेरी, दरअसल वो बात थी सही। तू हर मोड़ पर चुप थी, और मैं समझा बात कही। तेरी खामोशी में भी अक्सर, तेरे हिस्से की आग जली रही। मैं शोर करता रहा हमेशा, तू बस आँसू पीती रही। मैंने जो सोचा, वो करता गया, और तू हर बार सहती रही। मुझे लगा मैं सब जानता हूँ, तेरी समझ को झूठा कहा कहीं। आज जब तू साथ नहीं है, तब ये सच्चाई सामने सही। अब देर से जागी है समझ, अब ये रूह भी रोती रही। बीस बरसों में जो ना समझा, वो अब हर साँस में जलती रही। अंत में बस ये ही सीखा ।। मैं ग़लत था... तू ही सही। बीस बरसों में पता चला, मैं ग़लत था... तू सही। नोट:अगर पसंद आए तो comment लिखें और दोस्तों को शेयर करें 

👉 “Attitude Shayari in Hindi | एटीट्यूड शायरी बॉयज़ और GORI गर्ल्स के लिए”

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“बॉयज़ के लिए एटीट्यूड शायरी इन हिंदी” क्या मालूम था उसके एक-एक किया वादा, एक-एक आँसू में बदल जाएंगे, जिसे माना था अपना हर सुकून, उसी से ज़ख्म ऐसे मिल जाएंगे। हँसी जो बाँटी थी मिलकर कभी, आज तन्हाई में बस वही याद आएंगे, वो दिन जो कभी हमारे थे, अब बस ख्वाब बन कर सताएंगे। वो कहते थे साथ कभी ना छोड़ेंगे, क्या खबर थी, आँसू में छोड़ जाएंगे। जो हाथ थामा था तूफ़ानों में कभी, वही हाथ अब हमें अकेला कर जाएंगे। जो मोहब्बत थी धड़कनों में रची-बसी, वो ही याद बनके दिल को रुलाएंगे। ख़ुदा से मांगी थी दुआ ताउम्र की, अब वही दुआ हमें तन्हा कर जाएंगे। जिन लम्हों में बसी थी तेरी मुस्कान, वो लम्हे अब बस खामोशी दे जाएंगे। तेरी आँखों में जो ख्वाब सजाए थे, वही ख्वाब अब अधूरे रह जाएंगे। तेरे होंठों पे जो मुस्कान देखी थी, वो यादें ही हमें अब रुलाएंगे। तेरे बिना ये दिल चैन पा न सकेगा, तेरे बिना धड़कन भी तड़प जाएंगे। तेरी खुशबू से महकते थे जो लम्हें, वो लम्हे अब वीरान हो जाएंगे। तेरी आवाज़ में जो सुकून मिलता था, वो सुकून अब सन्नाटों में खो जाएंगे। तेरे वादे पे जो भरोसा किया था, वो भरोसे अब शिकवे बन...

धोखा वाली शायरी _आंखों का धोखा भी होता है शायरी

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कभी-कभी आंखों का धोखा भी होता है हमेशा आंखों से देखी हुई चीज़ सच नहीं होती कभी-कभी आंखों का धोखा भी होता है कभी-कभी बाहर से कुछ और भीतर से कुछ और होता है कभी-कभी इंसान का कद छोटा और भीतर से बड़ा होता है कुछ लोग बाहर से साधारण और भीतर से महान होते हैं कभी-कभी खामोशी में भी हज़ारों सवाल छुपे होते हैं कभी मुस्कान के पीछे आंसुओं के बादल जमे होते हैं जो दिखे वो सच नहीं जो छुपे वो झूठ नहीं कभी-कभी हर रिश्ते में थोड़ी सी दूरी भी होती है सही हर इंसान को परखना इतना आसान नहीं होता कभी-कभी जो सबसे पास होता है वही सबसे अनजान होता है जो दिल से साफ हो वो दुनिया में विरला होता है कभी-कभी साधारण चेहरों में हीरा भी छुपा होता है हमेशा आंखों से देखी हुई चीज़ सच नहीं होती कभी-कभी आंखों का धोखा भी होता है कभी-कभी बाहर से कुछ और भीतर से कुछ और होता है कभी-कभी इंसान का कद छोटा और भीतर से बड़ा होता है कुछ लोग बाहर से साधारण और भीतर से महान होते हैं ***राकेश प्रजापति*** और कविताएं शायरी पढ़ने के लिए स्क्रोल करें 

बहुत ही शानदार प्रस्तुति "मत जाना इस चमक पर" शायरी पढ़ें हिंदी में

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" मत जाना इस चमक पर.. ." ये चमकती हुई दुनिया पर मत जाना, हर चीज़ यहां सोना नहीं होती। जो मुस्कराते हैं महफिलों में अक्सर, उनकी आंखें भी रोया करती हैं छुप-छुप के। यहां नकाबों की कीमत चेहरे से ज़्यादा है, सच बोलने की सज़ा तन्हाई होती है। जो दिखता है वो अक्सर होता नहीं, और जो होता है, वो दिखाया नहीं जाता। मत कर भरोसा हर रोशनी पर, कुछ चिराग़ जलते हैं बस जलने के लिए। इस भीड़ में खुद को ढूंढना मुश्किल है, क्योंकि हर इंसान, खुद में अकेला होता है।