SAD तलाक कविता | दर्द भरी हिंदी कविता
"तलाक कविता" – राकेश प्रजापति की एक दर्द भरी हिंदी कविता, जिसमें रिश्तों के टूटने का दुख, मोहब्बत के बिखरने की पीड़ा और जीवन की सच्चाई को दर्शाया गया है। तलाक बीस बरसों में पता चला, मैं ग़लत था... तू सही। जिसे समझा था ज़िद तेरी, दरअसल वो बात थी सही। तू हर मोड़ पर चुप थी, और मैं समझा बात कही। तेरी खामोशी में भी अक्सर, तेरे हिस्से की आग जली रही। मैं शोर करता रहा हमेशा, तू बस आँसू पीती रही। मैंने जो सोचा, वो करता गया, और तू हर बार सहती रही। मुझे लगा मैं सब जानता हूँ, तेरी समझ को झूठा कहा कहीं। आज जब तू साथ नहीं है, तब ये सच्चाई सामने सही। अब देर से जागी है समझ, अब ये रूह भी रोती रही। बीस बरसों में जो ना समझा, वो अब हर साँस में जलती रही। अंत में बस ये ही सीखा ।। मैं ग़लत था... तू ही सही। बीस बरसों में पता चला, मैं ग़लत था... तू सही। नोट:अगर पसंद आए तो comment लिखें और दोस्तों को शेयर करें