खोटा सिक्का । KHOTA SIKKA दो मिनट में ताजा करें आपका बचपन की यादें इन कवित की बेहद शानदार पंक्तियो में । Bachpan ki best kavita
खोटा सिक्का" Bachpan ki best kavita
अरे राजू, अपना बचपन का खोटा सिक्का किधर गया?
वही जो तू हर खेल में दांव पे लगा देता था,
जो असली से ज़्यादा काम आता था,
जिसे तू अपने खजाने का हीरा बताता था।
याद है,
हम दोनों ने उसे गड्डे में गाड़ दिया था,
कहकर — "ये खज़ाना है, किसी को बताना मत!"
और फिर हर दोपहर उसे खोद-खोद के देखा करते थे,
मानो उसमें कोई जादू छुपा हो।
अरे राजू,
वो सिक्का तो खोटा था,
पर हमारी दोस्ती का सबसे कीमती हिस्सा था।
अब वो सिक्का नहीं दिखता,
ना ज़मीन में, ना जेब में,
बस यादों में चमकता है — थोड़ा टेढ़ा, थोड़ा पुराना।
कहीं वो भी तो नहीं चला गया
तेरे साथ शहर की किसी दौड़ में?
या तूने उसे किसी असली नोट से बदल डाला?
राजू, अगर मिले कहीं वो बचपन वाला खोटा सिक्का,
तो मेरे हिस्से की हँसी भी साथ ले आना...
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