एक बेहतरीन कविता पढ़िए हिन्दी में "कांच के सपने" शायरी कविता में शौक रखने वालों के लिए की दिल छू जाए।।
कांच के सपने। KANCH KE SAPNE
कांच के थे वो सपने…
जो तेरी आँखों से देखे थे कभी,
मोहब्बत की नर्मी में
धड़कनों से जो सीले थे कभी।
तेरी हँसी में जो चमकते थे,
तेरे ग़म में जो चुपचाप टूटते थे,
हर बार समेटा उन्हें दिल के कोने में,
पर कुछ टुकड़े अब भी चुभते हैं रूह में।
तू मोहब्बत थी —
पर शायद मुकम्मल न थी,
मैं उम्मीद था —
पर शायद तेरे काबिल न था।
तेरे बिना ये ख्वाब
आईने जैसे हो गए,
जो जितना देखूं,
उतना ही बिखर जाते हैं।
अब कोई सपना देखता नहीं मैं,
डरता हूँ कहीं फिर तू आ न जाए,
कांच के सपने फिर से न चुभ जाएं —
इस अधूरी मोहब्बत की तरह।
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