लड़ाई फाइटिंग वाली शायरी । Attitude kavita
तू ज़रा मुझे बाहर मिल Attitude अकड़ कविता
तू ज़रा मुझे बाहर मिल
तुझे बराबर ठोकेगा
इधर तेरा मुँह बंद है
बाहर बराबर बोलेगा
तेरे जैसे दो देखे हैं
एक को छोड़ा, एक रोएगा
जिस दिन आया मेरी पकड़ में
तू खुद से भी मुँह मोड़ेगा
हर दिन दिखाता है अकड़ अपनी
अब तेरे दिन ही कम होंगे
जो चल रहा है इधर-उधर
अब तेरे रास्ते भी बंद होंगे
बहुत दिन से चुप हूँ मैं
अब तू हिसाब खोलेगा
बात ना बनी गर समझ से
तो तगड़ा थप्पड़ बोलेगा
तेरे जैसे बहुत देखे हैं
जो भीड़ में शेर बनते हैं
बाहर जब वक्त आता है
तो बिल्ली बन के डरते हैं
अब ना रहेगा ये घमंड तेरा
हर बात तुझे तोड़ेगा
तू ज़रा मुझे बाहर मिल
तेरा गुरूर मैं छोड़ेगा।
"तू ज़रा मुझे बाहर मिल
तुझे बराबर ठोकेगा
इधर तेरा मुँह बंद है
बाहर बराबर बोलेगा"
**राकेश प्रजापति**
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