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तेरा मुखड़ा बहुत याद आए”
साफ़ और सुथरा तेरा मुखड़ा
बहुत याद आए
नीली झील सी तेरी आँखें
मुझे फिर बुलाएँ।
तेरे होंठों की वो हँसी
दिल को बहलाए
तेरी बातों में वो मिठास
रातों में जगाए
कभी चाँद बनके तू रातों में आए
कभी ख्वाबों में मेरे गीत गाए।
साफ़ और सुथरा तेरा मुखड़ा
बहुत याद आए।
तेरी खुशबू सी महके गलियाँ
जहाँ तू मुस्काए
तेरे बिना ये दिल दीवाना
किससे दिल लगाएँ।
तेरे पायल की छन-छन सुनूँ
तो जिया बहक जाए
तेरा नाम लूँ मैं हर दुआ में
बस तू ही नजर आए।
कभी फूल बनके तू बाग़ों में आए
कभी बारिश बनके प्यार लुटाए।
साफ़ और सुथरा तेरा मुखड़ा
बहुत याद आए।
***राकेश प्रजापति ***
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