बचपन के पुराने दिनो वाला स्कूल का बैग । SCHOOL BAG कविता पढ़ें Bachpan ki best kavita,
स्कूल का बैग
वो दिन भी क्या दिन थे…
जब खट्टी इमली में मिठास ढूंढते थे,
मंदिर के पीछे छुपकर
किसी की नज़र से बचते थे।
वो पुराना स्कूल का बैग,
जिसमें किताबें कम, ख़्वाब ज़्यादा थे,
कभी मिट्टी में लथपथ होता,
तो मां की डांट में भी अपनापन होता।
वो दोस्ती… वो भागना पीरियड से पहले,
वो चॉकलेट के बदले वादे,
वो गलियों में गूंजती हमारी हँसी,
अब तन्हा शामों में सिसकी बन जाती है।
अब तो बस यादें हैं…
वो मंदिर, वो इमली, वो स्कूल —
सब वहीं हैं शायद,
पर हम कहीं खो गए हैं।

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