EK ड्राइवर दिनभर क्या करता है शायरी कविता ME पढ़ें _हिंदी में
ड्राइवर को ड्राइवर मत कहो,
ड्राइवर साहेब कहिए,
क्योंकि वही तो है जो,
आपको सही समय पर मंज़िल तक पहुंचाता है।
धूप हो या बरसात,
दिन हो या अंधेरी रात,
स्टीयरिंग थामे खड़ा रहता है,
थकान में भी मुस्कुराता है।
सफर की हर मुश्किल आसान कर देता है,
यात्री को अपनी दुआओं का हक़दार कर देता है,
जो खुद सफर में भटकता है रोज़,
पर आपको मंज़िल तक पहुंचाता है रोज़।
सड़कें हों ऊबड़-खाबड़ या लंबी राह,
फिर भी दिल में रखता है हिम्मत और चाह।
भूखा रहे तो भी सवारी को खाना खिलाता है,
अपनी नींद त्यागकर मुसाफ़िर को जगाता है।
उसके हाथों में ही सफर की सुरक्षा है,
उसके चेहरे पर ही मेहनत की झलक है।
ड्राइवर केवल पेशा नहीं निभाता,
बल्कि मुसाफ़िरों का भगवान बन जाता।

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