Bachpan-Ki-Kavita जुगनू सिर्फ किताबों में बचे हैं
जुगनू गायब हैं
वो रातें जब जुगनुओं से बातें होती थीं,
अब मोबाइल की टॉर्च से नींदें कटती हैं।
पहले शेरों में होते थे चांद, जुगनू, तारे,
अब हर मिसरे में मोबाइल और नेटवर्क के इशारे।
जुगनुओं का जिक्र अब किताबों तक सीमित है,
अंधेरे में अब बच्चे मोबाइल की टॉर्च से खेलते हैं।
वो जुगनू पकड़ने की तड़प अब बच्चों में कहाँ,
अब टॉर्च ऑन करके स्क्रीन से दिल लगाते हैं वो जहाँ।
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