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फटाफट शायरी पर पढ़ें FUNNY कविता – जिंदगी की हकीकत दिखाती हुई मजेदार शायरी और हंसी मजाक से भरी lines।

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पढ़िए जिंदगी की हकीकत दिखाती हुई सच्ची शायरी    हगेगा कैसे_फनी कविता पढ़ेगा नहीं तो बढ़ेगा कैसे, खाएगा नहीं तो हगेगा कैसे। सोएगा नहीं तो जगेगा कैसे, रोएगा नहीं तो हँसेगा कैसे। मोबाइल में दिनभर घूसेगा अगर, पढ़ाई करेगा तो होगा कैसे। कक्षा में बैठेगा राजा बनकर, पढ़ेगा नहीं तो पास होगा कैसे। दोस्तों संग करेगा केवल मस्ती, तो जीवन में आगे बढ़ेगा कैसे। किताबों से दोस्ती करनी पड़ेगी, वरना अफ़सर बन पाएगा कैसे। जिंदगी में कुछ करेगा नहीं तो  जिंदगी में आगे बढ़ेगा कैसे।। लड़की को अटेंशन नहीं देगा तो  छोकरी पढ़ायेगा कैसे  घाव पर बाम नहीं लगाएगा तो  खुद से चलेगा कैसे  जिंदगी में रिस्क नहीं लेगा, तो बिजनेस बढ़ाएगा कैसे।। कमजोर आंखें रहेगी तो  तो पूरी महाभारत पढ़ेगा कैसे।। जिंदगी में खुश नहीं रहेगा तो  जिंदगी जीयेगा कैसे ।। Note _अच्छी Lage to शेयर करना न भूलें, फेसबुक whatdapp, लिंकडिन इंस्टाग्राम एंड टेलीग्राम 

मैं एक कुम्हार हूं | कुम्हार पर प्रेरणादायक कविता हिंदी में

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पढ़ें "मैं एक कुम्हार हूं" कविता, जो मेहनत, कला और जीवन की सच्चाई को दर्शाती है। कुम्हार की लगन और संघर्ष पर लिखी प्रेरणादायक पंक्तियाँ। मैं एक कुम्हार हूं  मैं एक कुम्हार हूं मैं सिर्फ मिट्टी नहीं गूंथता, मैं सपने गढ़ता हूं, आकार देता हूं, घड़ा बनता है मेरे हाथों से, पर उसकी थाप में तुम्हारा जीवन बसता है। मटकी में रखी पानी की ठंडक, सिर्फ जल नहीं — मेरे श्रम की मिठास है, शीतल सुराही जब किसी प्यासे को राहत दे, तो समझो, वहाँ मेरी आत्मा भी बहती है। मेरे हाथों की लकीरों में, गांव की खुशबू, माँ की पुकार, और मेहनत की भाषा छिपी है। मैं राजा के महल से लेकर गरीब की झोपड़ी तक पहुंचता हूं, बिना किसी भेदभाव के। मैं धैर्य का शिक्षक हूं, क्योंकि मिट्टी सिखाती है इंतज़ार करना — तब तक, जब तक वो पक न जाए। मैं सिखाता हूं — कि टूटकर भी जुड़ा जा सकता है, बस थोड़ा पानी, थोड़ा प्यार चाहिए। हां, मैं एक कुम्हार हूं, मिट्टी का साथी, संस्कृति का वाहक, और परंपरा का निर्माता। **राकेश प्रजापति**